बिशन सिंह बेदी कंचे खेलते-खेलते कैसे बने फिरकी के फनकार? 50 पैसे के सिक्के ने कैसे बनाया महान गेंदबाज? जानें

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नई दिल्ली. भारत के महान स्पिनरों में से एक बिशन सिंह बेदी (Bishan Singh Bedi) का सोमवार को 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. यह क्रिकेट फैंस के लिए चौंकाने वाली खबर थी. बिशन कई दिनों से बीमार चल रहे थे. बिशन सिंह बेदी भारत के शानदार क्रिकेटर्स में से एक थे. उन्होंने भारत को कई मैचों में जीत दिलाई. उनके महान गेंदबाज बनने का राज बचपन में उनके कंचे खेलने से जुड़ा है.

बिशन सिंह  बेदी का जन्म 25 सितंबर को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. उनका बचपन वहीं गुजरा था. बिशन सिंह बचपन में कंचे खेला करते थे. वह कंचे के चैंपियन कहे जाते थे. उन्होंने इसके बारे में ऑल अबाउट क्रिकेट शो पर बात करते हुए कहा था, “मैं अच्छा एथलीट नहीं था. लेकिन मुझमें काफी ज्यादा लचीलापन था. कंचे खेलकर मेरा फोकस छोटी चीजों पर काफी अच्छे से होता था. मेरे हाथ में हमेशा बॉल रहती थी. सुबह से लेकर शाम तक. मैं कभी गेंद को छोड़ता ही नहीं था.”

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क्रिकेट राइटर और खेल पत्रकार सुरेश मेनन ने बिशन सिंह बेदी की बायोग्राफी में लिखा है कि वो कंचे खेलते थे और वहीं से उनके महान स्पिनर बनने की शुरुआत हुई थी. मेनन ने लिखा है कि बेदी 50 पैसे के सिक्के पर लगातार 6 गेंदें फेंक सकते थे और बल्लेबाज को इस बात का अंदाजा भी नहीं लगने देते थे कि हर बार गेंद अलग कोण या एंगल से आएगी.

बिशन सिंह बेदी ने भारत के लिए पहला मैच साल 1967 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था. पहले ही मैच में उन्होंने 2 विकेट लिए थे. 4 सितंबर 1979 को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेल कर उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया था. भारत के लिए उन्होंने 67 टेस्ट और 10 वनडे खेले. इस दौरान उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 266 और वनडे में 7 विकेट लिए.

Tags: Bishan singh bedi, Indian Cricketer

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