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हालांकि, दिल्ली पुलिस की सायबर यूनिट का दावा है कि इस मामले में पीड़ित ने फोन का उत्तर नहीं दिया था और न ही OTP शेयर किया था। इस मामले के आरोपी ने एडवोकेट की बैंकिंग डिटेल्स और उनका प्राइवेट डेटा हासिल कर एकाउंट से रकम निकाल ली थी। इस मामले में पीड़ित ने पुलिस को रिपोर्ट दी थी कि उनके बैंक एकाउंट से बड़ी रकम निकाली गई है। पुलिस ने इस रकम का खुलासा नहीं किया है। इस मामले की रिपोर्ट 18 अक्टूबर को की गई थी। एक मीडिया रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि 35 वर्षीय एडवोकेट को एक अज्ञात फोन नंबर से तीन मिस्ड कॉल मिली थी। उनके वापस कॉल करने पर कॉलर ने कहा कि उनके लिए एक कूरियर है।
इसके बाद एडवोकेट ने कॉलर को अपने घर का पता बता दिया क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें एक मित्र ने पैकेज भेजा है। एडवोकेट को पैकेज नहीं मिला लेकिन उनके बैंक से दो बार रकम निकलने के मैसेज मिल गए। पुलिस ने इस मामले में आरोपी की पहचान नहीं की है और न ही कोई गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में पीड़ित के एकाउंट से रकम निकलने के बाद उन्हें एक व्यक्ति ने कॉल कर बताया था कि वह दिल्ली पुलिस की यूनिट IFSO अधिकारी है लेकिन एडवोकेट ने इस व्यक्ति को कोई डिटेल नहीं दी थी।
सिम स्वापिंग स्कैम में स्कैमर्स इंटरनेट पर किसी व्यक्ति की पहचान की चोरी कर SIM कार्ड हासिल कर लेते हैं। इसके बाद वे उस व्यक्ति के रिश्तेदारों और दोस्तों से रकम की मांग करते हैं। उनके पास सोशल मीडिया एकाउंट्स तक पहुंच हो जाती है और वह ऑनलाइन बैंकिंग का एक्सेस भी हासिल कर लेते हैं। इससे बचने के लिए SIM के बंद होने पर तुरंत अपनी टेलीकॉम सर्विस कंपनी को सूचना दें। इसके अलावा अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन शेयर करने से बचें। इसके साथ ही बैंक एकाउंट में बिना जानकारी वाली कोई ट्रांजैक्शन होने की निगरानी करें।
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