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हालांकि इस बारे में सरकार या सेना की ओर से कुछ नहीं बताया गया है, पर टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO का प्रोजेक्ट कुशा (Project Kusha) यह काम कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इस लॉन्ग रेंज की इस देसी मिसाइल (एलआर-एसएएम) प्रणाली में रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसी क्षमताएं होंगी।
रिपोर्ट कहती है कि LR-SAM सिस्टम को “मिशन-मोड” प्रोजेक्ट के रूप में डेवलन करने के लिए मई 2022 में कैबिनेट की मंजूरी दी जा चुकी है। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने इस सिस्टम के लिए 5 स्क्वाड्रन की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) को मंजूरी दे दी है। इसमें 21,700 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
भारत जिस देशी सिस्टम को तैयार कर रहा है, उसमें अलग-अलग इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी। ये मिसाइलें
150 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और 350 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के हमले का पता लगाकर उसे खत्म कर देंगी। रिपोर्ट कहती है कि इस सिस्टम की मदद से दुश्मन की मिसाइल या अन्य हमले को 80 फीसदी तक खत्म किया जा सकेगा। लगातार फायर करने पर 90 फीसदी रिजल्ट मिलेगा।
भारत का LR-SAM उन इलाकों में तैनात हो सकता है जो रणनीतिक और सामरिक लिहाज से जरूरी हैं। आमतौर पर इस तरह के सिस्टमों में रडार की मदद से दुश्मन के रॉकेट या मिसाइलों को ट्रैक किया जाता है। हमला होने पर रडार मिसाइलों या रॉकेट को ट्रैक करता है और जवाबी कार्रवाई में उन्हें खत्म कर देता है।
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